Thursday, December 5, 2024

पहला आघात

 

पहला आघात

सरन राई

बखत सुबह-सुबह गाँव आने-जाने वाली इकलौती नाव के घाट पर पहुँचा था। उसने काफी देर तक उजेली का इंतजार किया, जिसे वह खुद से भी ज्यादा प्यार करता था। जब मछुआरे ने कहा, "उजेली तो कल ही फौजी के साथ चली गई," तो उसके दिल को पहला आघात लगा।

वह रोता हुआ लौट रहा था, तभी उजेली की बहन जुनेली ने कहा, "दीदी ने कहा था, इसलिए मैं आपको बता रही हूँ। भले ही दीदी और आप साथ में घूमते-फिरते थे, लेकिन आप दोनों का मिलन संभव नहीं है। लड़कियाँ जल्दी बड़ी हो जाती हैं, और उन्हें सहारा देने के लिए उम्र, अनुभव, और परिपक्वता में उनसे बड़े पति की जरूरत होती है। दीदी चाहती थीं कि आप उन्हें खुश और सुखी देखें। अगर आप हताश और निराश हुए बिना सक्रियता, संयम और धैर्य के साथ जीवन के रास्ते पर आगे बढ़ते रहेंगे, तो आपको दीदी जैसी कई 'उजेली' मिलेंगी। समय को परिपक्व होने दीजिए।"

वह सपने से जागने जैसा महसूस करता है।
"हां, सही कहा। मेरे पास अभी क्या है? मुझे अभी और पढ़ना है और कुछ बनना है। जब मैं अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊँगा, तभी..."

पहले आघात पर मरहम लगा और उसने पहला पाठ सीखा— इंतजार करना आना चाहिए। सही समय आएगा।

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