कविता
फिर मिलन होगा
सरण राई
जहां शुरुआत थी, वहीं अंत होगा,
अनंत से आए हैं,
और अनंत में ही लौटना है।
धरती पर आकर गूंजना होगा,
जीवन की दुंदुभी बजानी होगी,
मुस्कान में जीवन खिलाते हुए
फिर अनंत में लौटना होगा।
जुदाई के दर्द को सहना, प्रिय,
क्योंकि अनंत जुदाई के बाद
अनंत काल के प्रवाह में
फिर मिलन होगा।
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